अनोखी और अद्भुत शांति का एहसास कराता है हमारा भारतीय शास्त्रीय संगीत : अनुपमा भागवत

भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में ख्याति प्राप्त मशहूर महिला सितार वादक अनुपमा भागवत सितार वादक के रूप में एक अनमोल मोती है, जो कि निरंतर अपने अंदर निखार लाने के साथ ही अपनी कला के प्रदर्शन से विश्व भर में भारत को गौरवान्वित कर रहा है I ऐसी महिला शख्सियत से आज साक्षात्कार हुआ है, जिसमें उन्होंने अपनी शास्त्रीय संगीत की दुनिया के सितार वादन से प्राप्त हुए अनुभवों को साझा किया है I सितार वादक अनुपमा भागवत कहती हैं कि मैंने “विरासत” को काफी नजदीक से महसूस किया है और इस बार मैं दूसरी मर्तबा देहरादून में आयोजित किए जा रहे विरासत महोत्सव में शिरकत कर रही हूं I उन्होंने कहा कि पूर्व में हुए आजादी के अमृत महोत्सव में शामिल होने के लिए वे यहां आई थीं I उनका कहना है हमारा भारतीय शास्त्रीय संगीत ही हमें भारतीय होने का गौरव प्रदान करता है I विश्व विख्यात सितार वादक अनुपमा भागवत ने साक्षात्कार के दौरान कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत हमारे देश की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय धरोहर है, इसके सुनने व एहसास करने से सभी को अनोखी और अद्भुत शांति का एहसास निश्चित रूप से होता है I विश्व स्तर पर अपने शास्त्रीय संगीत सितार गायन की कला को प्रकाशमय करने वाली मशहूर महिला शख्सियत सितार वादक अनुपमा भागवत ने अपने शास्त्रीय संगीत के करियर के संबंध में बताया कि उनको उनके प्रथम गुरु आरएन वर्मा ने नौ साल की उम्र में सितार बजाना सिखा दिया था और मात्र तेरह साल की उम्र में उन्होंने इमदादखानी घराने के प्रमुख गुरु बिमलेंदु मुखर्जी से प्रशिक्षण लेना शुरू किया। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया और उन्हें भारत के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय छात्रवृत्ति भी प्रदान की गई। उनका यह भी कहना है कि वह वर्तमान में बैंगलोर में रहती हैं और अमेरिका, यूरोप के कई स्थानों पर अपनी गायन शास्त्रीय संगीत कला का शानदार प्रदर्शन कर चुकी हूं ।

अनुपमा भागवत ने कहा कि वे गायकी शैली में सितार वादन करती हैं, जो मानव स्वर पर आधारित एक काव्यात्मक और सूक्ष्म रूप से सूक्ष्म शैली है। उनकी तकनीकी निपुणता की दुनिया भर के पारखी लोगों ने सराहना की है। यही कारण है कि उन्हें “सुरमणि” की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है । उनकी रचनात्मक रचनाओं ने तकनीकी निपुणता और भावपूर्ण काव्यात्मक लय के संयोजन से कई पारखी लोगों को निश्चित रूप से शांति का एहसास भी होता रहा है। उन्होंने कई सम्मान और पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं I उन्होंने कहा कि उनको ग्लोबल रिदम और शांति जैसे विश्व प्रदर्शनों का हिस्सा बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ । उन्हें ओहायो आर्ट्स काउंसिल (अमेरिका) से कई अनुदान प्राप्त हुए हैं। उन्होंने शास्त्रीय संगीत से संबंधित कई एल्बम भी जारी किए हैं जिनमें कॉन्फ्लुएंस, ईथर, एपिफेनी, कलर्स ऑफ़ सनसेट और सांझ शामिल हैं। विश्व विख्यात सितार वादक अनुपमा भागवत ने कहा कि उत्तराखंड राज्य की संस्कृति उन्हें बहुत अधिक भाती है और वे इस देवभूमि का तहे दिल से सम्मान भी करती हैं, साथ ही यहां के लोग जिस तरह से सौम्यवादी हैं वह यहां की संस्कृति को परिलक्षित करती है I

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