कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने राजधानी देहरादून के प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान केंद्र सरकार पर आरटीआई एक्ट को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आज से 20 वर्ष पूर्व 12 अक्टूबर 2005 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लागू हुआ आरटीआई अधिनियम लोकतंत्र को मजबूत करने का एक ऐतिहासिक कदम था लेकिन वर्तमान मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड, पीएम केयर्स फंड और व्हिसल ब्लोअर सुरक्षा अधिनियम जैसे मामलों में पारदर्शिता खत्म करने का काम किया है। साथ ही करन माहरा ने कहा कि आयोगों में पद खाली पड़े हैं जिससे साफ होता है कि सरकार जानबूझकर जनता तक जानकारी पहुंचने से रोक रही है।
करन माहरा का कहना है कि इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों के पास उपलब्ध जानकारी तक पहुँच प्रदान कर शासन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना था। आरटीआई समाज के सबसे हाशिए पर खड़े लोगों के लिए जीवनरेखा साबित हुई—इसने नागरिकों को उनके हक़ जैसे राशन, पेंशन, बकाया मज़दूरी और छात्रवृत्तियाँ दिलाने में मदद की। इस कानून ने सुनिश्चित किया कि कोई भी नागरिक जीवन की बुनियादी ज़रूरतों से वंचित न रहे लेकिन 2014 के बाद से मोदी सरकार के शासन में आरटीआई कानून को लगातार कमजोर किया गया है, जिससे लोकतांत्रिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर आघात हुआ है।
वहीं करन माहरा ने मांग उठाई कि 2019 के संशोधनों को निरस्त कर सूचना आयोगों की स्वतंत्रता बहाल की जाए और डी.पी.डी.पी अधिनियम की धारा 44(3) की समीक्षा की जाए, जो RTI के जनहित उद्देश्य को कमज़ोर करती है। साथ ही उन्होंने कहा कि आयोगों के लिए कार्य निष्पादन मानक तय किए जाएँ और निपटान दर की सार्वजनिक रिपोर्टिंग अनिवार्य की जाए और व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन अधिनियम को लागू कर RTI उपयोगकर्ताओं और व्हिसलब्लोअर्स को सशक्त सुरक्षा दी जाए।
करन माहरा का कहना है कि आरटीआई आधुनिक भारत के सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक सुधारों में से एक है। इसकी कमजोरी, लोकतंत्र की कमजोरी है। आरटीआई की 20वीं वर्षगांठ पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस कानून की रक्षा और सशक्तिकरण के अपने संकल्प को दोहराती है, ताकि हर नागरिक निडर होकर सवाल पूछ सके और समयबद्ध उत्तर प्राप्त कर सके।

